Friday, February 26, 2010

अक्षय अमेरिया की कला : एक

महातल में मौन चाँदनी
समकालीन भारतीय कला में युवा कलाकारों की उपस्थिति अपने ख़ास अंदाज में ध्यान खींचती है। इनमे कई कलाकार हैं जिनके काम पर बहुत लिखा और कहा गया है। कई के काम पर तो केवल यही लिखा और कहा गया है की उस कलाकार की पेंटिंग्स इतने में बिकी, इतने लाख में बिकी। मैं यहाँ उसकी बात नहीं कर रहा हूँ। रेट -लिस्ट देने का काम करना भी मेरा मकसद नहीं है। हाँ कला पर कुछ-कुछ बतियाने की इच्छा है। यहाँ अपने कुछ पसंदीदा कलाकारों पर ही नहीं, कला की पसंदीदी 'कारगुजारियों' पर भी कुछ लिखने की कौशिश करूंगा।

सबसे पहले , शुरुआत कर रहा हूँ अक्षय अमेरिया से। उज्जैन निवासी अक्षय अमेरिया मेरे प्रिय कलाकार रहे हैं। तो सबसे पहले अक्षय अमेरिया की कला के बारे में चर्चा। उनकी कला पर मैंने चार-पांच बार लिखा है। उसमे से एक लेख 'महातल में मौन चांदनी' यहाँ दे रहा हूँ। ये लेख लखनऊ से प्रकाशित होनेवाली कला पत्रिका 'कलादीर्घा' , संपादक अवधेश मिश्र के १९ वे अंक अक्टूबर २००९ में छापा था। 'कलादीर्घा' प्राप्त करने के लिए संपर्क यहाँ कर सकते हैं : अंजू सिन्हा , १/९५, विनीत खंड, गोमती नगर, लखनऊ-२२६ ०१०। इन्टरनेट पर देखने के लिए लोग ओन करें : डब्लू डब्लू डब्लू .कलादीर्घा.कॉम। कलादीर्घा के आवरण का फोटो भी साथ में दे रहा हूँ। पढ़ें और अपनी टिपण्णी दें, लेखन पर और अक्षय की कला पर भी।

- अमी चरणसिंह
२७-२-२०१०, सुबह ९:२९ बजे






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