Wednesday, May 26, 2010

अक्षय आमेरिया की कला : चेहरे के भीतर चेहरे ...2

अक्षय आमेरिया की कला प्रदर्सनी 'चेहरे के भीतर चेहरे' के बारे में इसके पहले की पोस्ट के बाद येहाँ दूसरा भाग पोस्ट कर रहा हूँ..... याने कुछ फोटो : पहले फोटो में हैं फोल्डर का विमोचन, दूसरे फोटो में है आई जी पवन जैन के साथ अक्षय आमेरिया, तीसरे फोटो में चित्रकार रमेश खेर और इशाक शेख के साथ अक्षय आमेरिया, चौथे फोटो में अक्षय के चेहरों का टी शर्त पर डिस्प्ले करते उनके मित्र..... और हाँ फोटो के बाद एक कविता भी है, डॉक्टर निवेदिता वर्मा की.....।
-अमी चरणसिंह।



इन फोटो में पहचानिए कौन कौन है... ?

पुनश्च ::
अक्षय आमेरिया की इस कला प्रदर्सनी का टाईटल डॉक्टर निवेदिता वर्मा कि एक कविता से लिया गया। ये कविता निमंत्रण पात्र पर छापी गयी है। कविता इस प्रकार है:
संवेदनाओं के शहर में
कैनवास के चेहरों में
रिश्तों की महक
खामोशी के बोल
सतरंगी नहीं फिर भी
जीवन के
हर रंग में रंगे
आत्म-संवाद करते
मन के भावों को पढ़ते
चेहरे के भीतर चेहरे।
-डॉक्टर निवेदिता वर्मा, उज्जैन
-अमी चरणसिंह , इंदौर
०९९२६५ ४८०६०

2 comments:

  1. Sir,
    I convey my innermost regards to all of you who have given me a chance, actually the most precious chance, to stop by from the blind race of life where identifying a goal is itself a goal and read and absorb these wonderful moments, poems,pictures and ,of course, a very rhythmic silence.
    I am fortunate to be present in the exhibition and share some moments with Axay ji, Ami sahab and all.

    Kotish:dhanyawaad, saadhu saadhu.

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  2. बाबा (जैसा की हम सभी मित्र अक्षय को पुकारते है) की इस अद्भुत प्रदर्शनी को देखने के बाद लगा की ये प्राणी आखिर खाता क्या है ?
    कहाँ से आते है इतने innovative ideas ? अक्षय के सृजन के बारे में बरबस मुंह से निकल पड़ता है .. अद्वितीय, अद्भुत, अनोखा |

    बधाई और ढेरो शुभकामनाएं
    संजय, उज्जैन

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